बेतिया जंगी मस्जिद का इतिहास.....| History Of Jangi Masjid Bettiah |

बेतिया जंगी मस्जिद का इतिहास.....

बेतिया शहर जो अपने आप में एक इतिहास है भारत की आज़ादी का इतिहास बेतिया से जुड़ा है यहाँ कई  ऐतिहासिक धरोहर हैं , जिनमे बेतिया का जंगी मस्जिद भी प्रमुख रूप से  शामिल है बेतिया जंगी मस्जिद जो बेतिया शहर के मीना बाजार के पश्चिम, नाज़नीन चौक के पूरब में स्थित है। 

इसके इतिहास के संदर्भ में पड़ताल करने के बाद यह बात सामने आई कि बेतिया राज में पठान घुड़सवारों की फौज भी थी। जो एक बड़ी सी सहन (चबूतरा) पर नमाज पढ़ा करते थे। उस सहन के नजदीक ही कुछ महावत रहा करते  थे। यह महावत लोगों ने पठानों की द्वारा मस्जिद बनाने पर आपत्ति जताई जिस पर माहवतों और पठानों में नोकझोंक भी हुई थी। पठानों में जंगी नाम के एक फौजी भी थे। यह खबर बेतिया महाराज तक पहुंची और राजा ने मस्जिद के लिए यह ज़मीन उन्हें दे दी.

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महावतों के लिए दुर्गाबाग में अलग से जमीन दी गई।  उसी समय से जंगी मस्जिद नाम प्रचलित हुआ फौज के सिपहसालार (कमांडर ) जिनका नाम जंगी खान था। उन्हें बेतिया राज द्वारा नमाज पढ़ने के लिए यह जगह करीब 1745 ईस्वी में बेतिया राज द्वारा प्रदान की गई। यहां पर जंगी खान और उनके साथी पांच वक्त की नमाज अदा करते थे। इस जगह को जंगी खान के नाम पर जंगी मस्जिद उसी फौजी कमांडर जंगी खान के नाम से प्रसिद्ध हो गया। जबकि यहां कोई  बड़ी जंग नहीं हुई थी.

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इतिहास को खंगालने पर यह सबूत मिलता है  कि........ यहां जंगी खान के बाद  पहले इमाम हाफिज अब्दुल रहमान इस मस्जिद में पांचो वक्तों की नमाज पढ़ाया करते थे। उनके बाद मौलाना असगर अली ने इमामत शुरू की इनके गुज़रने के बाद हाफिज मोहम्मद गयासुद्दीन जो हाफिज अब्दुल रहमान के बेटे थे। जनाब हाफिज मोहम्मद गयासुद्दीन ने इस मस्जिद में इमामत शुरू की  हाफिज मोहम्मद गयासुद्दीन की इंतकाल के बाद लोगों ने दूसरा इमाम को चुना और वही इमामत कर रहे हैं।

जंगी मस्जिद खेसरा नंबर 5228 जो वक्फ बोर्ड ने 16-12-1898 को रजिस्टर्ड किया। ठीक इसके सटे खेसरा नंबर 5227 पर स्कूल लाइब्रेरी और मुसाफिरखाना  है। बेतिया कोट टाइटल सूट नंबर 3 दिनांक 15- 1-1959 के अनुसार खेसरा नंबर 5227 के बारे में बताया गया है कि 24 -4 -1911 को स्कूल स्थित हुआ। जंगी मस्जिद के मुख्य द्वार पर 115 फीट ऊँचा  एक गुंबद मीनार की तामीर का काम 3 दिसंबर 2005 के दिन प्रारंभ होने की बात सामने आती है.

जब स्कूल की बिल्डिंग बनाने के संबंध में लोग इकट्ठा हुए थे और फिर 3 दिसंबर 2005 को एक मीटिंग जंगी मस्जिद में बुलाई गई जिसमें इस मीनार के बनाने की बात सामने आई। इस मीटिंग में डॉक्टर नासिर अली ख़ान, शमीम अख्तर, महफूज अली, रफीकुज्जमा, राजदार,मोहम्मद जलालुद्दीन, मोहम्मद कैसर, जुबेर अहमद, अरमान अहमद, मतवल्ली, समीउल्लाह क़ुरैशी जैसे कुछ बुद्धिजीवी और स्वयं मै लेखक एस ए शकील  आदि लोगों द्वारा  इसके गेट पर एक भव्य मीनार बनाने की बात सामने आई और फिर इसके लिए आवामी चंदे से इस मीनार बनाने का कार्य शुरू किया गया। मीनार के लिए बेतिया के अब्बास मिस्त्री को नक्शा बनाने एवं मीनार की तामीर के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई यह खूबसूरत मीनार अब्बास मिस्त्री के कला का बेहतर नमूना है। आज यह  115 फीट लंबा मीनार आपके सामने जंगी मस्जिद एवं बेतिया शहर का एक भव्य  शान और शहर का एक प्रतीक आपके सामने है.

इस मीनारे पर सीढ़ी के ज़रये 80 फीट की ऊचाई  तक आसानी से चढ़ सकते है। 
यह मीनार पुरे बिहार में एकलौता है।  यह पूरी मस्जिद भूकंप रोधी है।  इसमें एक वक्त में 900 लोग आसानी से  नमाज़ अदा कर सकते है।  इस मस्जिद को चार फ्लोर तक बना का काम अभी चल रहा है 

Jangi Masjid Bettiah monsoon  image

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