बेतिया राज खजाने पर डकैतो की गिद्ध सी नजर हमेशा से रही है !
1990 के दशक में बेतिया राज घराने में ऐतिहासिक डकैती हुई थी. जिसका आज तक खुलासा नही हुआ. उस समय की डकैती का बीबीसी के द्वारा खबर प्रसारण भी किया गया था. उसके बाद से मानो चोरो की जैसी लॉटरी लग गई हो । न जाने इस राज में कितनी बार चोरी हुई. चोरी में राज खजाना, शीश महल और बेतिया राज की। ऐतिहासिक घड़ी में कई बार चोरियां हो चुकी हैं. एशिया की सबसे बड़ी चोरी बेतिया राज खजाने में 1990 के दशक में हुई। जिसका प्रसारण बीबीसी ने किया था। जिसका आज तक कोई सुराग नहीं मिल सका, न ही कुछ पता चल सका. जिस समय में खजाना लूटा गया था। उस समय यह मामला CBI के हवाले भी किया गया था, लेकिन आज तक तमाम चोरियां रहस्यमय बनी रही,
राज खजाने से चोरी हुई सामानों की अंतरास्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों का अब तक सही अनुमान भी नहीं लगाया जा सका है.
बेतिया राज खजाने में मुगल साम्राज्य की सोने की थी मोहरें !
खजाने में मुगल कालीन सोने के सिक्के, सोने की मोहरें और देवी देवताओं की कई दुर्लभ एवं प्राचीन मूर्तियां उस वक्त गायब पाई गई थीं. इसके साथ ही बेतिया महाराज के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली घड़ी, अंगूठी और स्टिक जो कीमती हीरे, मोती, पन्ना आदि जडित थी सभी को चोरो ने उड़ा लिया। जब 21 जुलाई 1990 को IAS ऑफिसर रामाकांत सिंह नए ऑफिसर सत्यदेव प्रसाद को चार्ज देने के लिए खजाने का दरवाजा खोला तो कमरे में सूरज की रोशनी दिखाई पड़ी, सारे लोग परेशान हो गए. खजाने की ऊपरी छत में पश्चिम की ओर छत के ऊपरी हिस्से को काटा गया था. जो 3.5 × 4.5 का बड़ा-सा सुराख नजर आया ।
ऑफिसर को चार्ज देने के क्रम में यह राज सामने नजर आया. इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी गई. पुलिस ने पहुँच कर जांच शुरू कर दी. पुलिस को खजाना घर मे शराब की बोतलें, रस्सी गैस कटर एवं लोहा काटने के कई अवजार मिले।
तिजोरियां खुली हुई थीं और कई सामान तितर-बितर थे, उस वक्त चोरी गए सामानों की कीमत 70 अरब से ज्यादा बताई गई. सरकारी लिस्ट के हिसाब से 4,343 मुगलकालीन प्राचीन सिक्के एवं सोने की मोहरें लिखित थी, सोने की हीरा जड़ी हुई 52 घड़ियां 18 देवी देवताओं की मूर्तियां राज सिंहासन, राजा-रानी के चांदी के पोशाक, इस खजाने में थे, जो सब कुछ चोरों ने चुरा लिए. चोरी कब हुई, इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं मिल सका क्योंकि जहां से छत काटा गया था वहां पर काफी घने पौधे उग आए थे इसलिए इसका कोई समय किसी को नहीं मालूम हो सका.
बेतिया राज खजाने का छत लोहे की मोटी चादर से बनी थी जिसे चोरों ने काटा !
लोहे की मोटी चादर का छत एवं तिजोरियां काटकर चुराए थे सामान, काफी दिन लगे होंगे खजाने के अंदर, शराब की बोतलें इसकी गवाही देती नजर आई, फिर भी किसी को कुछ पता नहीं चल सका सबसे बड़ी बात यह है कि इस खजाने की जानकारी स्थानीय लोगो को भी नही थी. इस चोरी को एशिया की सबसे बड़ी चोरी के नाम से जाना जाता है. जिसके बारे में अब तक कुछ भी पता नहीं चल सका इसके बाद से ही राज के सामानों की चोरियों का सिलसिला चल पड़ा।
बेतिया राज में सभी प्राचीन दुर्लभ कीमती सामान चोर चुरा ले गए !
शीश महल में 20 अगस्त 2012 को एक चोरी सामने आई, इस समय राजा के समय के कीमती बर्तन चोरों ने चुरा लिया. शीश महल में तीन-चार बार चोरी हो चुकी है. बेतिया राज कचहरी में लगी घड़ी में 6 जुलाई 2011 को दूसरी बार चोरी किया गया यह घड़ी 16 वीं सदी में इंग्लैंड से मंगाया गया था, पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चारों तरफ एक बड़ा-सा घड़ी लगा हुआ था. जिसके घंटे की आवाज 5 किलोमीटर की दूरी तक सुनी जा सकती थी, रात हो या दिन लोगों को वक्त का पता इसी घड़ी से आसानी से लग जाता था.
सन 1990 के बाद से बेतिया राज के सामानों की चोरियों का सिलसिला कई बार चलता रहा 1990 से 2012 तक कई बार चोरियां की गई, मामले दर्ज किए गए लेकिन कुछ भी नहीं मालूम हो सका, सबसे बड़ी ऐतिहासिक चोरी राज खजाने की है जिसकी कीमत अब तक नहीं आकी जा सकी क्योंकि मुगलकालीन सोने के सिक्के हीरे लगी घड़ियां और मूर्तियों की कीमत का अंदाजा किसी को नहीं है इसलिए इसे एशिया की सबसे बड़ी चोरी के नाम से आज भी जानते हैं
चोरी का मामला थमने का नाम नही ले रहा है। 2019 में एक बार फिर राज कैम्पस में भवानी मंडप के सामने लगी तोप पर चोरों की नजर पड़ी. जून महीने में चोरो ने तोप को तोड़ कर जमीन पर गिरा दिया था. जिसे शीश महल में रखा गया, वहीं दूसरी लगी तोप के दोनों हैंडिल को चोर काट कर ले गए.
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