भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में 22 अप्रैल 1917 को गांधी जी बेतिया चम्पारण आए थे | Gandhiji Visits champaran on 22 april 1917

 राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन में चंपारण की भूमिका बड़ा ही सराहनीय है । 

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में 22 अप्रैल 1917 को गांधी जी बेतिया चम्पारण आए थे | Gandhiji Visits champaran on 22 april 1917
Mahatma Gandhi

आज वह चंपारण दो हिस्से में विभक्त हो गया है । 1972 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री केदार पांडे ने पूरब और पश्चिम चंपारण में इसे बांट दिया, आज मैं मुख्य रूप से पश्चिम चंपारण में गांधी की आगमन और पश्चिम चंपारण में निलहों के खिलाफ, तिनकठिया के खिलाफ किसानों के आक्रोश से उपजा किसान आंदोलन अंग्रेजों की कोठियों और उसके मैनेजरों के आतंक से उनके दमन से बौखलाए किसान 1907 के पहले से साठी कोठी के मैनेजर के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे । जब 1907 में शेख गुलाब, शीतल राय के नेतृत्व में किसान आंदोलन शुरू किया गया तो वह आंदोलन व्यापक किसान आंदोलन के रूप में उभरा । उसके बाद बेलवा कोठी के मैनेजर एमन, बैरिया कोठी के मैनेजर एम एच गेल की बर्बरता के खिलाफ किसान गोलबंद होने लगे, कोठियों से किसानों का संघर्ष और किसानों पर दमनात्मक करवाइयाँ बढ़ती गई।

22 अप्रैल 1917 को गांधी जी मोतिहारी से ट्रेन द्वारा 5 बजे शाम में बेतिया स्टेशन पहुंचने वाले थे.

 22 अप्रैल 1917 को गांधी जी मोतिहारी से ट्रेन द्वारा 5 बजे शाम में बेतिया स्टेशन पहुंचने वाले थे. किसानों की भीड़ रेल की पटरी पर खड़ी देख ट्रेन स्टेशन से पहले ही रुक गई ।

गांधीजी को लोगों ने हाथों हाथ लेते हुए बाहर निकाला, वहां से उन्हें खेन्हर राव के टमटम से आगे जाना था और पोस्ट आफिस के सामने मुनाब खां के पेट्रोल पम्प जो उस समय द्वारिका साह तेली का कटा हुआ सरसो का खेत था , जिसमें गांधी जी की महत्ती सभा हुई ।

24 अप्रैल को सुबह गांधीजी खेन्हर राव के साथ गांधी जी लौकरियां गए, उनके साथ ब्रज किशोर बाबू भी थे. लौकरिया पहुंचते हीं उनका किसानों ने भारी स्वागत किया,  फिर ब्रज किशोर बाबू के नेतृत्व में रामाश्रय राव, मुखराम चौबे, गंगा राय, गणपत राय आदि ने पीड़ित किसानों का बयान दर्ज करना शुरु किए, यह सिलसिला चलता रहा। इसी बीच गांधीजी बैरिया कोठी मैनेजर गेल के दमन वाले गांवों भेड़िहारी, करमैनी, शिवराजपुर आदि का दौरा कर लोगों की बातें सुनी, रात्रि विश्राम खेन्हर राव के यहां हुआ वहां खेन्हर राव, रामाश्रय राव के बच्चों बच्चा राव, चंद्रदेव नारायण राव, दुर्गेंद्र राव, राजा राव, बिंदेश्वरी प्रसाद राव गांधी जी की सेवा में लगे रहे । गांधी जी भी उन बच्चों से अत्यंत ही घुल मिल गए थे तथा आवश्यकता के सामानों को उनसे ही मंगाते थे । दूसरे दिन गांधीजी बैरिया कोठी के मैनेजर एम एच गेल से मिलने गए । किसानों के समस्याओं को रखा और बेतिया चले आए ।

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