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Joda Shivalaya Mandir a Historical Place | जोड़ा शिवालय मंदिर इतिहास....

मुगल बादशाह शाहजहां के समय से बेतिया राज का वजूद सीधे सामने आ जाता है. बेतिया राज बहुत बड़े इलाकों में फैला हुआ है वास्तव में 17वी सदी से बेतिया की तारीख मिलती है.

राजा उग्रसेन के समय 1627 से 1659 से इतिहास मिलता है, बेतिया राज में कुल 56 मंदिर हैं, पश्चिम चंपारण में 55 मंदिर, एवं एक मंदिर बनारस में है बेतिया राज द्वारा बनवाया गया है तथा आज भी उसकी देखरेख बेतिया राज के ही जिम्मे है. बेतिया राजा का निवास मोहल्ला किला राज देवड़ी में है जिसे हम शीश महल कहते हैं. शीश महल के पश्चिम में बेतिया राज कचहरी, राजखजाना है. शीश महल के पूरब पत्थर दरवाजा है.
Joda Shivalaya Mandir

इस के बीचो बीच राज्य से निकलने वाली सड़क लाल बाजार होते हुए आगे चली जाती है सड़क के दाएं बाएं उत्तर दक्षिण पत्थर दरवाजा है, दक्षिण ओर पत्थर दरवाजे के दीवार के सटे एक बड़ा सा चौकोर मैदान है जिसमें एक बड़ा सा चबुतरा है, जिसके बीच में एक मंदिर है, जिसमें तीन भाग हैं इसी मंदिर का नाम जोडाशीवाला है. जो बेतिया का ऐतिहासिक मंदिर है बेतिया के ऐतिहासिक मंदिरों में काली बाग( काली मंदिर का इतिहास पढे....) दुर्गा बाग, पियुनिबाग, सागर पोखरा और यह जोड़ा शिवालय पांच प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर है जिनमें यह जोड़ा शिवालय भी ऐतिहासिक है वैसे तो बेतिया में जितनी ऐतिहासिक मंदिर आदि हैं किसी पर भी उसके बनने का सन या कोई शिलापट या शिलालेख कहीं मौजूद नहीं है सुनी सुनाई बातों से बात सामने आती है कि यह जोड़ा शिवालय राजा नवल किशोर सिंह(1838-1853) से राजा हरेंद्र किशोर सिंह (1885-1893) के बीच किन्ही के द्वारा बनाई गई होगी. 


Joda Shivalaya Mandir

आप जो यह जोड़ा शिवालय देख रहे हैं यह 1996 के बाद का बाहरी हिस्सा कुछ दानी एवं धार्मिक लोगों द्वारा नवनिर्मित है उसके पहले यह मंदिर खपड़े की छत के नीचे हुआ करती थी इस मंदिर में मुख्यतः तीन भाग हैं, पहले भाग में दुर्गा जी, काली, महाकाली, भैरव, त्रिपुरा सुंदरी, अपूर्णा माता, दुर्गा वाहन, सरस्वती जी, और गणेश जी की मूर्तियां है,


Joda Shivalaya Mandir

ठीक इनके बगल में तीन शिवलिंग, विष्णु जी, लक्ष्मी जी, गणेश जी, गंगा जी, राम जी, लक्ष्मण जी, सीता जी, सूर्य देव, बड़ी और छोटी पार्वती जी की प्रतिमाएं हैं.

इसके  सटे तीसरे कमरे में सफेद पत्थर का शिवलिंग, दुर्गा जी, कृष्ण जी , राधा जी, महावीरजी, गणेश जी, शिव जी एवं पार्वती जी की प्रतिमाएं स्थित है, 

Joda Shivalaya Mandir


जोड़ा शिवालय दो शिवलिंग हैं,

Joda Shivalaya Mandir


इसलिए इसे जोड़ा शिवालय कहते हैं, ठीक जोड़ा शिवालय के पूरब सटे सड़क के उत्तर की ओर महावीर जी की बड़ी सी प्रतिमा है जिनके बाहर महाराजा हरेंद्र किशोर एवं महारानी जानकी कुंवर की तस्वीर लगी हुई है इन के ठीक सामने सड़क के दक्षिण ओर गणेश जी की बड़ी सी मूर्ति है गणेश जी और महावीर जी की बड़ी मूर्ति आमने सामने है बीच में राज दरबार तक जाने का रास्ता है राज दरबार में जाने का वैसे तो छह मुख्य दरवाजे हैं जिन में यह रास्ता ही असल रास्ता बताया जाता है. यह भी सुनने में आता है कि राजा दरबार से इसी रास्ते से होकर कहीं जाते तो महावीर एवं गणेश जी का दर्शन करने के बाद ही निकलते या कोई बाहर से राज दरबार में आता तो इसी रास्ते से अंदर प्रवेश करता यह पत्थर दरवाजा राज दरबार में प्रवेश का पहला चेकप्वाइंट भी कहा जाता है यहीं पर आने वालों को की पड़ताल की जाती और वह राज दरबार में प्रवेश करता अब इनकी हालत बहुत ही खराब हो चुकी है यह पत्थर दरवाजा धीरे-धीरे करके टूटता जा रहा है कचरे और जंगली लताओं का ढेर बन गया है इस इतिहास को सजोने वाला अब तक कोई नजर नहीं आया जबकि जबकि इस शाही एवं शीश महल में बेतिया राज मैनेजर की पोस्टिंग है बेतिया राज के बगीचे तालाब एवं जमीनों आदि से बहुत सारे पैसे राजस्व के रूप में आते हैं कम से कम इन धरोहरों को ही बचा के रखा जाता तो हमारा इतिहास सलामत रहता भारतीय इतिहास में चंपारण और यह बेतिया एक प्रमुख स्थान अवश्य रखता है, लेकिन ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की किसी की कोई चिंता नहीं है यह अपने ही टूट कर मिट्टी में मिलते जा रहे हैं.

यह हमारे चम्पारण का गौरवशाली, ऐतिहासिक प्रतीक है, हम सब को चाहिए की अपने इतिहास को बचने के लिए एक कदम आगे बढ़ कर आगे आये.
हमारा गौरवशाली इतिहास देखते देखते तबाह हो जाए गा, इसे बचाना हम सब नैतिक एवं धार्मिक कर्तव्य है.

मैंने बात की जोड़ा शिवालय के पुजारी जगदीश दुबे जी से पुजारी जी ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि इन्हें अब के समय में बेतिया राज के द्वारा मात्र ₹1000 ही प्रतिमाह दिए जाते हैं यह सबसे दुखद विषय है कि इन देवताओं की देखरेख करने वाला पुजारी ₹1000 तनख्वाह में अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करता आ रहा है, जबकि बेतिया राज के पास न जमीन की कमी है ना ही राजस्व की, कम से कम पुजारियों को कुछ जमीन हीं दी गई होती तो उससे यह अपने परिवार की अच्छी तरह भरण-पोषण कर लेते राज व्यवस्था को इन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.



जोड़ा शिवालय पर बनाया एक वीडियो  
 
 
  

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