कुपोषण समस्या नहीं.....


कुपोषण समस्या नहीं.....

कुपोषण हमारे भारतवर्ष में एक ऐसी समस्या है जिसे आजादी के बरसों बाद भी इसका हल पूर्ण रूप से हम नहीं ढूंढ सके यह बड़ी अच्छी बात है कि इस वर्ष सितंबर माह को भारत सरकार ने राष्ट्रीय कुपोषण माह  मनाने का निर्णय लिया और हर जगह कुपोषण के शीर्षक से विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर लोगों में एक जागरूकता पैदा करने की बड़ी अच्छी पहल की गई। सीतामढ़ी से बेतिया शहर में भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय विभाग के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्री जावेद अंसारी बेतिया पहुंचकर बेतिया के विभिन्न स्कूलों में कुपोषण पर कई कार्यक्रम आयोजित किए। स्कूल के विद्यार्थियों को जिनमें मुख्यतः छात्राएं थी। कई कार्यक्रमों में प्रथम , द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को  अंतिम कार्यक्रम 17 सितंबर को पुरस्कृत किया जो बेतिया के एक स्कूल में आयोजित हुआ। जिसमें कई पदाधिकारी समेत सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षक श्री शकील अहमद विशेष रुप से वक्ता के रूप में आमंत्रित किए गए थे। इस प्रोग्राम में कुपोषण पर चर्चा एवं परिचर्चा में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि गर्भधारण से लेकर जन्म तक महिला को प्रतिदिन घर में प्राप्त सामग्री से उचित समय पर उचित आहार दिया जाए तो हमारा कोई भी बच्चा कुपोषण का शिकार नहीं हो पाएगा। हमारे यहां अधिकतर महिलाएं निम्न एवं निम्नतम ग़रीब परिवार से आती हैं जिनके पास विशेष प्रकार के फल फ्रूट अथवा डब्बे में पैक पोषण युक्त सामग्री खरीदने की औक़ात नहीं होती है। यह लोगों का एक भ्रम  है।  जबकि घरेलू पोषण वाली पौष्टिक आहार कुपोषण से निजात दिला सकती है, जबकि सच्चाई यह है की रोज़ के घरों में इस्तेमाल की जाने वाली सब्जी साग इत्यादि अगर नियमित रूप से हम इस्तेमाल करें तो कुपोषण का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि हर परिवार में प्रतिदिन दाल ,साग और सब्जी अवश्य ही बनता है जिनमें प्रचुर मात्रा में ऊर्जा एवं कैलोरी होती है अगर यही हम अच्छी तरह से इस्तेमाल करें तो कुपोषण का मामला बड़ी आसानी से हल हो सकता है। हमें विशेष प्रकार के डब्बा बंद फल आदि  महंगे दामों पर बाजार से नहीं खरीदने होंगे इसी के लिए अगर हम अपने समाज में जागृति पैदा करें तो कुपोषण की बात नहीं हो पाएगी।
                बेतिया एमजेके कॉलेज में सी एन डी स्टाफ निकहत परवीन एवं प्रथम वर्ष के छात्राओं  तरन्नुम परवीन दीक्षा यादव  ने कुपोषण को जड़ से मिटाने में  घरेलू खाद्य सामग्री में ऊर्जा एवं पोषण पर विस्तार से  बताया कि कम से कम बजट में घर में मौजूद सामग्रियों से पूर्ण न्यूट्रिशन फूड बना सकते हैं और गेहूं, मूंग और चना दाल आदि से बने बाजार में मिल रहे काफी महंगें डबों से निजात हासिल करके कहीं उससे ज्यादा पोषण एवं ऊर्जा पूर्ण आहार प्राप्त कर सकते हैं गेहूं तथा मिक्स आदि के द्वारा हम अपने ही घर पर संपूर्ण पोषण पर आधारित  बाजार के महंगे तत्वों से काफी कम लागत पर अच्छा से अच्छा आहार प्राप्त कर सकते हैं।
             अतः यह आवश्यक है कि शहर एवं गांव में लोगों के अंदर इस बात को पहुंचाएं की कुपोषण दूर करने के लिए हमारे आसपास एवं घर एवं बाजारों में उपस्थित सामग्री साग सब्जी दाल आदि का इस्तेमाल प्रचुर मात्रा में करें तो कुपोषण से निजात मिल सकती है।

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