जानिए......125 साल पुराने मदरसा इस्लामिया को | Madarsa Islamia Bettiah

जानिए......125 साल पुराने मदरसा इस्लामिया को | Madarsa Islamia Bettiah

बेतिया मदरसा इस्लामिया सन 1894 ईस्वी में मौलाना नेक मोहम्मद, मौलवीअज़मत हुसैन, हाफिज़ दीन मोहम्मद एवं उनके अन्य दोस्तों ने मदरसा इस्लामिया का संगबुनियाद रखने की बात सामने आती है।


                  

मदरसा इस्लामिया का इतिहास | History Of Madarsa Islamia 

जब पूरे देश में अंग्रेजों का शासन था, और उनका प्रचार प्रसार काफी आगे तक हो रहा था। एक तरफ पूरे देश में अंग्रेज भगाओ और हिंदुस्तान बचाओ के लिए भारत का एक एक व्यक्ति अपने देश को आजाद कराने के लिए अपना तन मन धन समर्पित कर चुका था. हर जगह अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई की तैयारियां थी, पूरे हिंदुस्तान में अंग्रेज भगाओ के लिए एक एक व्यक्ति अपनी जान हथेली पर लेकर घूम रहा था. 

पश्चिम चंपारण भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रदूत की हैसियत से आगे था. यहीं से आज़ादी के आंदोलन को एक नई दिशा और राह मिली,  इसी चंपारण की देन है  इस देश का हर व्यक्ति अंग्रेजों से आजादी के लिए अपने आप को आगे रखना चाहता था ताकि मेरा  देश  गुलामी से आजाद हो सके.

पश्चिम चंपारण का केंद्र बेतिया शहर है जहां कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर हैं जो रहती दुनिया तक अपना नाम व निशान बाकी रखेंगे चाहे वह जंगी मस्जिद हो इमामबाड़ा हो या काली  मंदिर ।

इसी प्रकार शैक्षणिक संस्थानों में मदरसा इस्लामिया बेतिया भी एक विशेष शैक्षणिक संस्था है, जो 1894 ईसवी में इस संस्था  की बुनियाद पड़ती है जिसके अग्रदूत मौलाना नेक मोहम्मद जो मौलाना फजलुर रहमान गंज मुरादाबादी के महत्वपूर्ण शिष्य थे, मुरादाबाद से बेतिया शहर भेजे गए इनके धर्मगुरु ने बेतिया शहर का खास विशेषता बता कर यहां भेजा इनके साथ मौलवी अज़मत हुसैन, हाफिज दीन मोहम्मद एवं अन्य लोग मिलकर एक शैक्षणिक संस्था की बुनियाद रखी जिसे आज मदरसा इस्लामिया के नाम से जाना जाता है। हमने इस सिलसिले में मदरसा पहुंच कर सदर मुदर्रिस मौलाना क़ाज़ी नेसार अहमद से बात की ......


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इस मदरसा के प्रमुख संस्थापक मौलाना नेक मोहम्मद साहब के खानदान के नवासे माजिद अकील, एम ए मिंटू  जो इस शहर के प्रमुख रामानुजन कोचिंग के डायरेक्टर हैं से मिलकर पत्रकार एस.ए शकील ने पूछा....


आज मदरसा इस्लामिया  125 साल की लंबी जीवन यात्रा पूरी कर चुका है,  शुरू में इस मदरसे की बुनियाद इसलिए रखी गई की बेतिया एवं आसपास के इलाकों में इस तरह की एक भी शैक्षणिक संस्था नहीं थी जहां विशेषकर मुसलमान अपने धर्म की शिक्षा ग्रहण कर सके चंपारण की स्वतंत्रता संग्राम में इस मदरसे एवं इसके संस्थापकों का महत्वपूर्ण किरदार रहा है तो दूसरी ओर इस शैक्षणिक संस्थान का प्रमुख मकसद धार्मिक शिक्षा देना रहा है, इस मदरसे के शिक्षा सम्बन्ध में विशेष जानकारी हमें मुफ़्ती साहेब ने दी कि यहाँ सभी बच्चों को तालीम   के अलावा रहना एवं खाना का मुफ्त इंतजाम है।


इस मदरसे का इस्लामिक शिक्षा में अति महत्वपूर्ण योगदान रहा है इस मदरसे से कई ऋषि महर्षि (सूफी संत) जिनमें मौलाना नेक मोहम्मद के महत्वपूर्ण शिष्य मौलाना रियाज अहमद इनके शिष्य कारी मोहम्मद हुसैन इनके शिष्य मौलाना मोहम्मद, मौलाना अब्दुल सत्तार ने जिनका नाम काफी महत्वपूर्ण एवं बड़ी अहमियत रखता है।

चंपारण की स्वतंत्रता संग्राम की के सिलसिले में मदरसा इस्लामिया एक केंद्र की हैसियत रखता है आजादी के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण कार्य एवं योजनाएं इस मदरसे में तय हुआ करते थे, जनाब हाफिज मोहम्मद सानी एवं उलेमा।  पत्रकार पीर मोहम्मद मोनिस जिनके लेखों के द्वारा गांधीजी ने चंपारण को जाना और यहाँ आए.

इसी मदरसे में बैठकर आजादी की तहरीक  के बारे में सोच कर एक रणनीति बनाते थे. इसमें मौलाना सज्जाद का भी नाम प्रमुख है, जो इमारत शरिया के संस्थापक हैं और इसी के अधीन यह मदरसा भी है।

इस मदरसे से भारत के उलेमा में मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी मौलाना कारी सिद्दीक अहमद मौलाना मिन्नतुल्लाह रहमानी मौलाना अब्दुल रहमान का नाम भी काबिले जिक्र है जो यहां आकर इस मदरसे की निगरानी भी की और इसे नई राह दिखाते रहे अमीरे शरियत सैयद निजामुद्दीन एवं नायब अमीरे शरियत मौलाना काजी मुजाहिद उल इस्लाम सदर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस मदरसे को अपना विशेष समय दिया और इसकी निगरानी करते रहे इस मदरसे का कोर्स दर्स निजामी है, जो इस्लामी शिक्षा के साथ अन्य शिक्षकों पर आधारित है।

इस मदरसे में धार्मिक शिक्षा के अलावा अन्य शिक्षा भी यहां पढ़ने वाले छात्रों को दी जाती है अरबी फारसी फतवा दारुल क़ज़ा इत्यादि की शिक्षा विशेष रूप से दी जाती है इनके अलावा यहां के छात्रों को अंग्रेजी बोलने एवं कंप्यूटर की शिक्षा का विशेष इंतजाम है।

यहां पर आने वाले मार्ग दर्शकों में भारत के उलेमा में मौलाना हुसैन अहमद मदनी मौलाना मोहम्मद सज्जाद मौलाना कारी सिद्दीक अहमद बांदी जैसे कई मौलाना, सैयद मिन्नतुल्लाह रहमानी मौलाना हिफजुर रहमान मौलानाा, अब्दुल रहमान मौलाना, काजी मुजाहिद उल इस्लाम कासमी, मौलाना सईद असद मदनी, सदर जमीअतुल उलमा हिंंद, अमीरे शरियत हजरत मौलाना सैयद निजामुद्दीन, जनरल सेक्रेटरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना वली रहमानी  सज्जादा नशीन खानकाह रहमानी मुंगेर मौलाना सलमान अल हुसैनी नदवी, मौलाना अनिसुर रहमान क़समी आदि के नाम प्रमुख हैंं।


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